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शहर में गुंडा राज चाहिए या क़ानून का राज! कैसे रहे बीते 5 साल…

आधी रात का रिपोर्टर न्युज/रायगढ़. रायगढ़ में एक माननीय हुए हैं इनके एवं उनके पुत्र दोनों के कारनामों से रायगढ़  के लोग बखूबी परिचित हैं. पिता कोयला, रेत और डोलोमाइट की चोरी में सिद्धहस्थ है, तो बेटा खुले आम गुंडागर्दी में मस्त है. आचार संहिता लगने के बाद कुछ हद तक इन पिता पुत्रों के कारनामो से रायगढ़ की जनता को राहत मिली है. रायगढ़ की पुलिस भी आचार संहिता के लगने के बाद ही अपनी वर्दी की लाज बचा पा रही है. अब देखने वाली बात होगी कि आचार संहिता खत्म होने के बाद भी क्या यह राहत की स्थिति बनी रहती है या फिर आचार संहिता खत्म होते ही माननीय और उनके पुत्र का तांडव  दोबारा शुरू हो जाता है.

  • राजनीति में बार-बार नहीं होते एक्सीडेंट

रायगढ़ के लोग काफी से सुलझे हुए हैँ, वह अपने मतों को और उन मतों की महत्ता को बखूबी पहचानते हैं, लेकिन कई बार राजनीतिक दुर्घटनाओं की वजह से सब कुछ ट्रैक से बाहर हो जाता है जिसका लाभ गुंडा तत्वों को मिल जाता है और वह सत्ता का सुख भोगने लगते हैं. सत्ता के सिंहासन में बैठकर  यह गुंडा तत्व निरंकुश हो जाते हैं और जनता को अपनी जागीर समझते हैं. हालांकि ऐसे राजनीतिक एक्सीडेंट  हर 5 साल में नहीं होते बल्कि कभी-कभार धोखे से हो जाते हैं .

  •  आईये देखें कैसे रहे बीते 5 साल

बीते 5 सालों में  शायद ही कोई साल ऐसा गुजरा हो ज़ब माननीय और उनके बेटे की गुंडागर्दी और खनिज की खुले आम चोरी  की घटनाएं सामने ना आई हो. माननीय रायगढ़ में बैठकर तमनार और घरघोड़ा में  कोयल का अवैध व्यवसाय करवा रहे थे, बरमकेला क्षेत्र में डोलोमाइट और रेत का अवैध व्यापार करवा रहे थे, और उनका पुत्र खुलेआम डंके की चोट पर कभी युवा नेताओं पर हथियारों से हमले तो कभी जूनियर डॉक्टरों से होटल ट्रिनिटी मैं मारपीट, तो कभी  गाड़ी की ओवरटेकिंग में लोगों की बेतहाशा पिटाई अपने माननीय  पिता के दम पर कर रहा था.

To be continue….

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